Nojoto: Largest Storytelling Platform

मकता:- बागबां ख़फा बस इस बात पर हुआ मुझसे। फूल

मकता:-
बागबां  ख़फा  बस  इस बात पर हुआ मुझसे।
फूल बिन खिला 'माहिर' तोड़ क्यों दिया मैंने।।
( विजय आनंद "माहिर" ) मकता अर्ज़ है:-
मकता:-
बागबां  ख़फा  बस  इस बात पर हुआ मुझसे।
फूल बिन खिला 'माहिर' तोड़ क्यों दिया मैंने।।
( विजय आनंद "माहिर" ) मकता अर्ज़ है:-

मकता अर्ज़ है:-