देकर भरोसा मदद की छतरी नहीं फैलाई कम्बख्त यह बात बहुत देर समझ में आई कितने माँग उजड़े कई सुनी हो गई कलाई लड़ना छोड़ मित्रों ने आर्थिक पावंदी लगाई मरते हुए सुखी कंठों को पानी नहीं पिलाई इसके अच्छा क्या होगा जग कोई भलाई ©Anushi Ka Pitara #जलता #देश #मुस्कुराता #वक्त #Rose