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टूटकर चाहा जिसे हमने, वो सच्चा फ़रेबी निकला। बेगैरत

टूटकर चाहा जिसे हमने, वो सच्चा फ़रेबी निकला।
बेगैरत, बेहया, वो इस दिल का क़रीबी निकला।

मेरी सच्ची मोहब्बत को, वो हरपल आजमाता था।
जाने क्यूँ वो इतना बड़ा, दिल का गरीबी निकला।

ख़ामोशी से सहती गई, मैं उसके जुल्म-ओ-सितम।
लेकिन उसके दिल से तो मेरे लिए बेरुखी निकला।

काफी वक़्त लगा मुझे, उसके इरादे समझने में।
खेलता रहा वो मेरे दिल से, इतना फ़रेबी निकला।

चाहत से उसका क्या वास्ता, वो दिल से खेलता था।
दिल से खेलने का ये शौक़ बड़ा अजीब ही निकला। ♥️ Challenge-611 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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टूटकर चाहा जिसे हमने, वो सच्चा फ़रेबी निकला।
बेगैरत, बेहया, वो इस दिल का क़रीबी निकला।

मेरी सच्ची मोहब्बत को, वो हरपल आजमाता था।
जाने क्यूँ वो इतना बड़ा, दिल का गरीबी निकला।

ख़ामोशी से सहती गई, मैं उसके जुल्म-ओ-सितम।
लेकिन उसके दिल से तो मेरे लिए बेरुखी निकला।

काफी वक़्त लगा मुझे, उसके इरादे समझने में।
खेलता रहा वो मेरे दिल से, इतना फ़रेबी निकला।

चाहत से उसका क्या वास्ता, वो दिल से खेलता था।
दिल से खेलने का ये शौक़ बड़ा अजीब ही निकला। ♥️ Challenge-611 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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