उलझती हुई जिंदगी के इम्तिहानों से वो पुराने स्कूल के इम्तिहान ही अच्छे थे भरपूर जवानी के थपेड़ों से धक्के खा रही जिंदगी से अधूरे पूरे सपनो से भरे हर पल अपने जी रहे थे जब हम बच्चें थे ऐश ओ आराम से भरे हुए इन बड़े बड़े मकानों में सुकून नही मिलता ऐश नींद तो वही जमीन पर आती थी जहाँ घरों के आंगन कच्चे थे