बस भैया बहुत हुईं जुमले बाजी न तुम राजी न हम राजी कुछ बन बैठ चौधरी कुछ काजी के हैं काजी न उनके अम्मा हैं हारी इनके बप्पा बैठे राजी के राजी पं अश्वनी कुमार मिश्रा