"लुटा हू मैं सफर को इश्क का आबाद रखने मे...! मैं सब कुछ भूल जाता हूँ तुम्ही को याद रखने में...! यें आखें, सुर्ख लब, चितवन, ये जुल्फें रेशमी साड़ी..; ये काफी हैं हमारे कत्ल़ की बुनियाद रखने में...!!" "लुटा हू मैं सफर को इश्क का आबाद रखने मे...! मैं सब कुछ भूल जाता हूँ तुम्ही को याद रखने में...! यें आखें, सुर्ख लब, चितवन, ये जुल्फें रेशमी साड़ी..; ये काफी हैं हमारे कत्ल़ की बुनियाद रखने में...!!"