सफर की शाम हो गई देखते देखते जिंदगी गुमनाम हो गई देखते देखते मोहब्बत ना जाने कहां खो गई देखते देखते तकदीर भी रुख मोड़ कर चली गई देखते देखते तेरी बातें ही है अब साथ मेरे तेरी यादें ही हैं अब साथ मेरे चाय भी पीनी पड़ती है अकेले ही मुझे हां पर तेरे लिए प्याली रखना कभी भूलता नहीं में हर सफर की शुरुआत के साथ ही उसकी शाम भी निश्चित है इसलिए कहता हूं मुस्कुरा कर जीना सीख,दिल लगा कर जीना सीख जन्म लेने के साथ ही मृत्यु निश्चित है ही मिलने के बाद बिछड़ना स्वाभाविक है ही एक दूसरे से मुंह फुला कर बैठने से क्या सफर की शाम तो यूं भी एक ना एक दिन होनी ही है.... देखते-देखते मेरे सफ़र की शाम हो गई। #सफ़रकीशाम #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi