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पेशानियों पे लिखे मुक़द्दर नहीं मिले| दस्तार कहाँ


पेशानियों पे लिखे मुक़द्दर नहीं मिले|
दस्तार कहाँ मिलेंगे जहाँ सर नहीं मिले|

आवारगी को डूबते सूरज से रब्त है,
मग़रिब के बाद हम भी तो घर पर नहीं मिले|

©Jashvant
  #shabd#Apno ke liye Raj Guru Farida Begum Manjari Yadav