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तू मरा नहीं है ,तू मरता क्यों नहीं !,तुझे बार बार

तू मरा नहीं है ,तू मरता क्यों नहीं  !,तुझे बार बार मारने पर भी ,पी ली थी क्या बूंद तूने अमृत कलश की !बता क्या हुई गलती राम से ;जो तू मरा नहीं ! क्यो जिंदा है अब तलक क्यों तू मरता नहीं !कब तक तुझे मारे  थक गये है हम ,तुझे और तेरी बुराई को मारते मारते !क्या रावण को मारकर बचाते है अस्तिव राम का या  कहू असत्य को मिटा कर रखते है सत्य को जिन्दा ?
तू मरा नहीं है ,तू मरता क्यों नहीं  !,तुझे बार बार मारने पर भी ,पी ली थी क्या बूंद तूने अमृत कलश की !बता क्या हुई गलती राम से ;जो तू मरा नहीं ! क्यो जिंदा है अब तलक क्यों तू मरता नहीं !कब तक तुझे मारे  थक गये है हम ,तुझे और तेरी बुराई को मारते मारते !क्या रावण को मारकर बचाते है अस्तिव राम का या  कहू असत्य को मिटा कर रखते है सत्य को जिन्दा ?