मैं अपनी ज़िंदगी में तुम्हारी यही कमी चाहती हूँ, जो तुम्हें पा सकने की उम्मीद और तुम्हें न पा सकने के दर्द को ज़िंदा रखे। शायद मैं तुम्हारे मौन को पढ़ना जानती हूँ, इसलिए अपने लफ़्ज़ों में तुम्हें ही सिर्फ़ लिखना चाहती हूँ। कि तुम जिस रास्ते बढ़ चले थे कभी, हाँ में उसके इसी छोर पर रुकना चाहती हूँ। तुम्हारे आने के इंतजार का इंतजार भले ही लंबा क्यूँ न हो, मैं इक उम्र इस इंतज़ार में जीना चाहती हूँ। ~ शिखाS #तुम्हें #चाहती #हूँ 💝