#OpenPoetry शतरंजे इश्क तेरा फिर कुबूल है मुझे.. मेरा कत्ल होना फिर कुबूल है मुझे... दिल ऐ दरिया में तेरे मैं ही हूँ... मैं ही हूँगा .... तू कर कोशिशें मिटाने की मुझे फिर... मैं वो इश्क तेरा हूँ.... जो मुस्कुरा देता हूँ तेरी नादानियों पर.. हॉ चली जायेगी रूह मेरी ज़हॉ से... बस तू अपनी मोहब्बत कुबूल कर... #कुबूल है