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परन्तु कई बार मन घुटता है अंतर में आँखों से आँसू

परन्तु कई बार मन घुटता है 
अंतर में आँखों से आँसू नहीं बहते 
परन्तु मन में उमड़ आती हैं कई यादों की धाराएँ
 एक साथ बचपन से जवानी
 तक के सफ़र की हर बात
 तब ख़ुद को समझाने पर भी नहीं होता 
है विश्वास आज आप नहीं हैं 
हमारे बीच अपने बच्चों के पासपापा न जाने क्यूँ
 एक ही बात सताती है 
जब भी आपकी याद आती है क्यूँ चले गए आप 
अचानक इतनी दूर 
हम अभागी संतान न रह सके अंतिम समय में भी 
आपके पास आपके साथ ही जैसे चली गई है
 हमारी हर ख़ुशी,
 हमारे चेहरों कीं रौनक 
हमारा उत्साह, हमारा विश्वास ।...
आपकी प्रियदर्शनी

©Nimisha Mishra happy fathers day
परन्तु कई बार मन घुटता है 
अंतर में आँखों से आँसू नहीं बहते 
परन्तु मन में उमड़ आती हैं कई यादों की धाराएँ
 एक साथ बचपन से जवानी
 तक के सफ़र की हर बात
 तब ख़ुद को समझाने पर भी नहीं होता 
है विश्वास आज आप नहीं हैं 
हमारे बीच अपने बच्चों के पासपापा न जाने क्यूँ
 एक ही बात सताती है 
जब भी आपकी याद आती है क्यूँ चले गए आप 
अचानक इतनी दूर 
हम अभागी संतान न रह सके अंतिम समय में भी 
आपके पास आपके साथ ही जैसे चली गई है
 हमारी हर ख़ुशी,
 हमारे चेहरों कीं रौनक 
हमारा उत्साह, हमारा विश्वास ।...
आपकी प्रियदर्शनी

©Nimisha Mishra happy fathers day