बंजर ज़मीन और बेहेता हुआ आसमा शांत था मौसम पर रोया में इकलौता यहां भरोसे का है दस्तूर रूठा है खुद से दिल कहा टूटा हुआ विश्वास जाने ले जाएगा मुझे कहा ख़ामोश सा मन महसूस होता अकेलापन ज़िन्दगी रूठ गई मुझसे ऐसा है लगता अधूरेपन से दिल बेइंतहां #breaking_of_trust