क्या करूँ........ क़िस्मत को दोष दु,या सपनों के पंख तोड़ दु, ख़्वाब देखना छोड़ दु, या लोगों की डर से ज़िंदगी से आस छोड़ दु, क्या करूँ....... जो वर्षों पहले सजायी थी ख़्वाब उसे घूँट-घूँट के मरने दु, या ख्वाबों को पंख दे दु... मरते हुए ख्वाबों के साथ ,ये वक्त भी अब साथ ना देता हैं.. क्या करूँ वक्त को पकड़ लू या इसे भी जाने दु.... #khwab ke pankh