Nojoto: Largest Storytelling Platform

कई दिन हो गये तुम्हारी राख पैरों पर जम गयी है, शा

कई दिन हो गये 
तुम्हारी राख पैरों पर जम गयी है,
शायद हफ्ते होने को हैं!
मणिकर्णिका के एक पत्थर पर 
तुम्हे फूंक कर लौटा हूँ।

तुम्हारे शरीर को
आंच लगाते हुए मेरे हाथ नहीं कांपे,
कुछ भी पीड़ादायक नहीं था!
मेरे लिये उस वक़्त कुछ भी पीड़ा दायक नहीं था। नाही तुम्हारा वहाँ लेटे होना, नाही मुझे तुम्हारा लकड़ियों के साथ फूंक देना। तुम्हारी राख से गुजरकर  तुम्हें गंगा में बहाकर मैं लौटा था। मैंने तुम्हारे लिए आंशू नहीं बहाये। क्योंकि मैं तुम्हारे लिए आता रहूँगा मणिकंर्णिका के उस पत्थर तक। 
मैं रोऊँगा नहीं तब तक 
जब तक कि तुम मुझे पुनः नहीं मिल जाती या फिर किसी दिन मैं भी राख बनकर गंगा की लहरों में बहता हुआ तुम्हारी राख से ना मिल जाऊँ। प्रियतम् 
मैं नहीं रोऊँगा तबतक….सोच

©Nikhil Sharma
  मणिकर्णिका के एक पत्थर पर तुम्हे फूंक कर लौटा हूंl #NiCkhilist  #Flower #Nojoto

मणिकर्णिका के एक पत्थर पर तुम्हे फूंक कर लौटा हूंl #NiCkhilist #Flower Nojoto #ज़िन्दगी

285 Views