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खगों से सीखी, मीठी वाणी कलरव मात्र से जिनके, शान्त

खगों से सीखी, मीठी वाणी
कलरव मात्र से जिनके, शान्त हो जाये मन भारी
विक्षिप्त मन भी विभोर हो जाये
कोकिला कण्ठ से जब स्व-राग सुनाये।

©virutha sahaj
  #प्रेरणा के स्त्रोत

#प्रेरणा के स्त्रोत #कविता

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