*कोई बेवजह दिल जीत जाते हैं* #शायर kp की कलम से कोई बेवजह दिल जीत जाते है सफर जिंदगी के यू कट जाते है बिन मुलाकात के भी रिश्ते निभाये जाते है हार कर भी कोई जीत जाते हैं कोई जीत कर भी हार जाते है जहर हो दिलो में वह फुट जाते है दिल से सच्चे अक्सर टूट जाते है बात करे मुँह पे वो कड़वे लग जाते है कोई मुस्करा के हार जाते है कोई आंख चुरा कर जीत जाते है मदन मोहन ,इंद्र सावन के मौसम की रुत मिले जब अशोक संग एक खेमे में प्रकाश तो उजाला कर जाते है जब बरसे वासु तो सब चुप हो जाते है कोई खामोशी से जीत जाते है कोई चिल्ला के हर बाजी जीत जाते है कोई हार कर भी फील करा जाते है कोई जीत कर भी जीत नही पाते है राम के सर की हालत है कैसी बेवजह हार कर भी दिल चुरा जाते है जब आये सामने तो जीत जाते है लोग बात बात पे फिर जाते है। देखते ही देखते मासूम चेहरे उत्तर जाते है फिर भी अटल अपनी बात पे वो रह जाते है कोई बेवजह दिल जीत जाते है स्वाभिमान की लड़ाई में कहि अभिमानी जीत जाते है चलते है पथ में राहगीर बन कर वो राहगीर पथ भूल जाते है चुप चाप रहकर यह शायर कुछ लिख पाते है ना समझ कर भी कुछ कह जाते है कभी कभी कोई मिल जाते है कोई बेवजह दिल जाते है चिलचिलाते शहर में चुप रहने वाले हार जाते है बेवजह कोई अपनापन जता जाते है मैच क्रिकेट के बदल जाते है दिल मे हो गर फील तो दिल कहलाते है कोई बेवजह दिल जीत जाते है *शायर kp* ©kheteshwar Pujara #kp शायर दिल हार जाते है #lonely