बस तुम्हारी यादों में गुमसुम हो जाऊँ! बनकर साँसे तेरे जिस्म से जुड़ जाऊँ! तुम बुनो कोई ख्वाब, सपना बनकर पलकों पे मैं सज जाऊँ! तुम्हारी हर ख्वाहिशों के लिए हररोज सजदे पर सिर झुकाऊँ! ख़ातिर तुम्हारें मैंने दुश्मनी मोल लेली है सबसे, तेरी करे जो शिकायत, एक-एक से लड़ जाऊँ! बिताया नहीं जाता तुम-बिन मुझसे एक भी लम्हा, मोहताज हो चुकी हूँ ज़िन्दगी जीने के लिए क्या बताऊँ! सुनो! ये सब्र अंतिम छोर पर है सच कहती हूँ! मुझमें बसे हो तुम, फिर भी पास तुम्हें मैं चाहूँ! बस तुम्हारी यादों में गुमसुम हो जाऊँ!! बनकर साँसे तेरे जिस्म से जुड़ जाऊँ!! ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1068 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।