Nojoto: Largest Storytelling Platform

बैठ अकेले जब सोचा करती तब तुम याद आते हो बचपन की य

बैठ अकेले जब सोचा करती तब तुम याद आते हो
बचपन की यादों संग एक खिलखिलाहट दे जाते हो
कहती अकसर तुम झूठे हो क्यो मुझे सताते हो
पर सच पूछो तो एक नई उमंग भर जाते हो
  प्यार तुम्हारा वैसा ही है एक ताकत रोज दे जाते हो 
 रिश्तो में मीठी सी झड़प रोज लाते हो 
क्यो तुम मुझे इतना सताते हो
बैठ अकेले जब सोचा करती तब तुम याद आते हो
बचपन की यादों संग एक खिलखिलाहट दे जाते हो
कहती अकसर तुम झूठे हो क्यो मुझे सताते हो
पर सच पूछो तो एक नई उमंग भर जाते हो
  प्यार तुम्हारा वैसा ही है एक ताकत रोज दे जाते हो 
 रिश्तो में मीठी सी झड़प रोज लाते हो 
क्यो तुम मुझे इतना सताते हो