माँ छुट्टियों में घर आ रहा हूँ - ये उत्साह और उमंग था उन जवानों का| मगर ये आख़िरी मुलाक़ात होंगीं - इस पर पहाड़ खड़ा हो गया सवालों का| काफ़ी ख़ुश नुमाह माहोल था - घर के किस्सों का हल्ला बोल था| माँ के लड्डू, बीवी की कचोरियों का शोर था घर से लौटें थे, तो रगों में एक अलग ही जोश था श्याम की शादि की तो मेहंदी अभी उतरी भी ना थी और अब्दुल के निकाह की तारीख़ अगले माह की थी अचानक कुछ हुआ, वो विस्फोट था - बहुत शोर था फिर एक सन्नाटे का एहसास हुआ, पाकिस्तान के धोके का फिर से आभास हुआ लंका को यहाँ भी विभीषण ने ढहाया था - मगर इस बार बुराई नहीं अच्छाई पर वार कर वाया था| कोह्राम सा मच गया देश में समय जैसे थम सा गया #gif पुलवामा आतंकी हमला part - 1