सरलतम सा बहता हूँ मैं तुममें दिन रात रहा करता हूँ मैं तुममें चेतन अवचेतन विवेक अविवेक स्पष्ट हुआ भी करता हूँ मैं तुममें . संवाद मेरे हों प्रभावशाली ही या शब्दों में अर्थ को तुम ही सजाती प्रस्तुति मेरी सम्मानजनक रखती देर तक जाने मुझसे क्या बतियाती . अनुभव करता चलता सम्वेदनाएँ पीड़ाएँ आशाएं और आकांक्षाएं वेदना उलाहने कहन कहानियां प्रेम राग सन्देश छुपी भावनाएं . मेरे चिंतन की सहभागी हो तुम वो मधुर भाषा हो तुम अलंकृत शब्द अकूत विकल्प अनेक धरे संयोजन बनते गीत संगीत झंकृत . गर्व कि एक समुन्नत भाषा मित्र हूँ तेरे सहयोग से लिखित चित्र हूँ . (हिंदी दिवस की शुभकामनाओं सहित) सहगामी