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फासलों से बने फैसले आज भी सताती हैं ना फिर से आज श

फासलों से बने फैसले आज भी सताती हैं ना
फिर से आज शाम, भी ढलती सूरज का पता नहीं लगा पाए ना
आज फिर से दूरियों के दर्मेया, फिर थामने चले हो ना 
वो बीते पल अब रेत है,उनमे तुझे फिर किस शहर की तलाश है 
अगर निकले हो तो लौटना नहीं, मुड़ना नहीं
नहीं मिले वो तो ना सही, इस बार अपना वजूद ढूंढ लाना
 #Protégé
फासलों से बने फैसले आज भी सताती हैं ना
फिर से आज शाम, भी ढलती सूरज का पता नहीं लगा पाए ना
आज फिर से दूरियों के दर्मेया, फिर थामने चले हो ना 
वो बीते पल अब रेत है,उनमे तुझे फिर किस शहर की तलाश है 
अगर निकले हो तो लौटना नहीं, मुड़ना नहीं
नहीं मिले वो तो ना सही, इस बार अपना वजूद ढूंढ लाना
 #Protégé
rakeshkumar6664

Rakesh Kumar

New Creator