इन ऑंखों का वो नूर, कहाॅं मिलेगा वो सुकून, उस आलिंगन का वजूद... कहाॅं मिलेगा वो सुकून !! इन ऑंखों का वो नूर, कहाॅं मिलेगा वो सुकून, शीतल जल सी तृप्ती, बरगद सी ग्रीष्म में घनी छाया... दर्श से मिलती जैसे मुक्ति, कहाॅं मिलेगी वो युक्ति, कहाॅं खोजूं कहां खोजूं? लबों की चुप्पी कैसे तोडूं?