चेहरे की हसी दिखावटी सी हो रहीं हैं असल जिंदगी भी बनावट सी हो रहीं हैं अनबन बढ़ती जा रही है रिश्तों में भी अब अपनों से भी बगावत सी हो रहीं हैं पहले ऐसी थी नहीं जैसी हूँ आजकल मेरी कहानी कोई कहावत सी हो रहीं हैं दूरी बढ़ती जा रही है मंजिल से मेरी चलते चलते भी थकावट सी हो रहीं हैं शब्द कम पड़ रहे हैं मेरी बातो मे भी खामोशी की जैसे मिलावट सी हो रहीं हैं और मस्वरे की आदत न रही लोगो को अब गुजारिश भी शिकायत सी लग रही है., ❣ ❣ ❣ ©SapnaRajput #deep word... Life experience #NationalSimplicityDay