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पैरों में जो मैंने पायल तुमको बांधा था, खनक आज भी

पैरों में जो मैंने पायल तुमको बांधा था,
खनक आज भी दिल अधीर कर देती हैं,
क्या बताऊं प्रियतम तुमको,
बैचेनी सी होती है।।
जीवन के उन्मुक्त बाग़ में तुमको सैर कराना था,
दोनों जन के पदचिन्हों पर आज अकेला चलता हूं,
क्या बताऊं प्रियतम तुमको,
बैचेनी सी होती है!
#Yaha_Sirf_Ishq_Hai #ISHQ
पैरों में जो मैंने पायल तुमको बांधा था,
खनक आज भी दिल अधीर कर देती हैं,
क्या बताऊं प्रियतम तुमको,
बैचेनी सी होती है।।
जीवन के उन्मुक्त बाग़ में तुमको सैर कराना था,
दोनों जन के पदचिन्हों पर आज अकेला चलता हूं,
क्या बताऊं प्रियतम तुमको,
बैचेनी सी होती है!
#Yaha_Sirf_Ishq_Hai #ISHQ