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मुझे आपने अपने हाथों से तराशा है। में पड़ा था बेमो

मुझे आपने अपने हाथों से तराशा है।

में पड़ा था बेमोल पत्थरों के ढ़ेर में,,
मुझे उठाकर अपने साथ चलाया है।।

मुझे भला कौन जानता इस दहर में,
आपने मुझे अपने नाम से नवाजा है।

क्यो उजाड़ रहे हो प्रेम के महल को
इस घर को हमने ही तो बनाया है।।

जो रो रहा है चीख चीखकर तन्हा,,
किसी हँसाने वाले ने रुलाया है।।

आदी हो गया किसी की बाहों का,,
उसने सफर में हाथ छुड़ाया है।।

कट रही है कट कट कर जिंदगी,,
'दीवाना' अब वो कहा हमारा है।।
deewana ajeet

©deewana ajeet कट रही है कट कट कर जिन्दगी
दीवाना अब वो कहाँ हमारा है #tum
मुझे आपने अपने हाथों से तराशा है।

में पड़ा था बेमोल पत्थरों के ढ़ेर में,,
मुझे उठाकर अपने साथ चलाया है।।

मुझे भला कौन जानता इस दहर में,
आपने मुझे अपने नाम से नवाजा है।

क्यो उजाड़ रहे हो प्रेम के महल को
इस घर को हमने ही तो बनाया है।।

जो रो रहा है चीख चीखकर तन्हा,,
किसी हँसाने वाले ने रुलाया है।।

आदी हो गया किसी की बाहों का,,
उसने सफर में हाथ छुड़ाया है।।

कट रही है कट कट कर जिंदगी,,
'दीवाना' अब वो कहा हमारा है।।
deewana ajeet

©deewana ajeet कट रही है कट कट कर जिन्दगी
दीवाना अब वो कहाँ हमारा है #tum

कट रही है कट कट कर जिन्दगी दीवाना अब वो कहाँ हमारा है #tum #Shayari