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निंबोलियां (Read caption for write up) बचपन में म

निंबोलियां

(Read caption for write up) बचपन में मेरा एक पसंदीदा शगल था नानी के घर वाले बरामदे में नीम की निंबोलियां इकठ्ठा करना और साथ में बबूल के फल, फूल और भी पता नहीं कितनी जंगली झाड़ी झंखाड़िया। फिर बारी आती थी दो पुराने  सरावले (मिट्टी के दीए) ढूंढने और उनमें पुरी सावधानी से तीन छेद करने की। फिर खोज होती थी एक अदद तुअर संटी की और सुतली, थोड़ी जोड़ तोड़ और लो जी हमारी तराजू तैयार हो गई। 
अब बारी थी हरी निंबोलियां और पीली निंबोलियां अलग अलग करने की, एक बोरा बैठने को और सब्ज़ी की दुकान तैयार।
आज जब भी सब्ज़ी की दुकान पर जाता हूं तो सारी सब्जियां देख कर मुझे मेरी बचपन की सब्ज़ी की दुकान याद आ जाती है। मेरे ग्राहक मेरे छोटे भाई बहन हुआ करते थे और आज मै जब इस सिरे पर खड़ा हो सब देखता हूं तो बचपन के अपने सरावले वाली तराजू में खुद को सब्ज़ी तौलता देखता हूं।
अब ना तराज़ू है ना भाई बहन इकट्ठे हो पाते हैं। पर नीम की निंबोलियां, बबूल के फल और वो जंगली पत्तियां अब भी उसी उम्मीद से देखती हैं कि फिर से उसी तराजू पर कोई उसी बचपने से तौल दे और खुश हो जाए। फिर से वो भाई बहनों वाला बाज़ार सजे, फिर से वो बरसात का मौसम लौट आए।
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निंबोलियां

(Read caption for write up) बचपन में मेरा एक पसंदीदा शगल था नानी के घर वाले बरामदे में नीम की निंबोलियां इकठ्ठा करना और साथ में बबूल के फल, फूल और भी पता नहीं कितनी जंगली झाड़ी झंखाड़िया। फिर बारी आती थी दो पुराने  सरावले (मिट्टी के दीए) ढूंढने और उनमें पुरी सावधानी से तीन छेद करने की। फिर खोज होती थी एक अदद तुअर संटी की और सुतली, थोड़ी जोड़ तोड़ और लो जी हमारी तराजू तैयार हो गई। 
अब बारी थी हरी निंबोलियां और पीली निंबोलियां अलग अलग करने की, एक बोरा बैठने को और सब्ज़ी की दुकान तैयार।
आज जब भी सब्ज़ी की दुकान पर जाता हूं तो सारी सब्जियां देख कर मुझे मेरी बचपन की सब्ज़ी की दुकान याद आ जाती है। मेरे ग्राहक मेरे छोटे भाई बहन हुआ करते थे और आज मै जब इस सिरे पर खड़ा हो सब देखता हूं तो बचपन के अपने सरावले वाली तराजू में खुद को सब्ज़ी तौलता देखता हूं।
अब ना तराज़ू है ना भाई बहन इकट्ठे हो पाते हैं। पर नीम की निंबोलियां, बबूल के फल और वो जंगली पत्तियां अब भी उसी उम्मीद से देखती हैं कि फिर से उसी तराजू पर कोई उसी बचपने से तौल दे और खुश हो जाए। फिर से वो भाई बहनों वाला बाज़ार सजे, फिर से वो बरसात का मौसम लौट आए।
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