Rtc की मिट्टी लगा कर सर पर चल पड़े फ़रिश्ते अपने सफर पर आंखों में लेकर उम्मीदो का सागर मुन्तजिर है कोई इनका घर पर मंजर कुछ इस कदर हो गया rtc का जैसे तूफ़ां का साया पड़ जाए शज़र पर एक पुलिस वाले कि कलम से......