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#OpenPoetry जज्बाती दरिया ! एक दरिया मेरे महकते

#OpenPoetry जज्बाती दरिया !

एक दरिया मेरे 
महकते जज़्बातों का
वो उमड़ता है तब 
जब ज़िक्र तेरा मेरे 
कानों से गुज़रता हुआ 
सीधे जा पंहुचता है 
दिल की रसातल में 
इस जज़्बाती दरिया ने 
कभी तुझे निराश किया हो 
ये भी मुमकिन है 
क्योंकि तेरे लिए ही
दरिया का बहना अब 
बन गयी है इसकी नियति
पर इतना याद रखना
कंही सुख ना जाये 
ये जज़्बाती दरिया 
तेरी प्यास बुझाते बुझाते
रह जाए बस इसमें कुछ 
तुम्हारे फेंके पत्थर 
और तुम्हारे तन से 
निकली मटमैली धूल 
और कुछ ना बचे इसमें 
तुम्हारे कुछ अंश के सिवा ! #जज्बाती #दरिया
#OpenPoetry जज्बाती दरिया !

एक दरिया मेरे 
महकते जज़्बातों का
वो उमड़ता है तब 
जब ज़िक्र तेरा मेरे 
कानों से गुज़रता हुआ 
सीधे जा पंहुचता है 
दिल की रसातल में 
इस जज़्बाती दरिया ने 
कभी तुझे निराश किया हो 
ये भी मुमकिन है 
क्योंकि तेरे लिए ही
दरिया का बहना अब 
बन गयी है इसकी नियति
पर इतना याद रखना
कंही सुख ना जाये 
ये जज़्बाती दरिया 
तेरी प्यास बुझाते बुझाते
रह जाए बस इसमें कुछ 
तुम्हारे फेंके पत्थर 
और तुम्हारे तन से 
निकली मटमैली धूल 
और कुछ ना बचे इसमें 
तुम्हारे कुछ अंश के सिवा ! #जज्बाती #दरिया