मेरे हौंसलों को कुछ यूं शह दो कि बस हाँ कह दो, इस लम्बे इंतज़ार को अब 'ना' कह दो। तुम्हारी मोहब्बत मेरी मोहब्बत से यूँ अलग है शायद, तुम पाकर भी उदास रहते हो, और मैं खो कर भी ख़ुश। तमाम शाम ओ सुबह देख डाली इश्क़ की, बस कहीं अब ये ना हो जाये, कि मैं 'ना' कह दूँ और तुम 'हाँ' कह दो। ©Swarnkar Ranjan #ruu