इरादे मुकद्दर के सामने कौन टिका है मेरे माथे पर न जाने कौन लिखा है ताबीज ओं की रहमत देखूं या तेरा मुक़द्दर मुझ काफिर का हिसाब तूने कहां लिखा है कौन जाने कयामत पर क्या लिखा है मेरे महबूब ने कल ही इश्क का हिसाब सरेआम लिखा है शशांक आबशार.... ©Shashank Prashar #सरेआम #worldpostday