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"ऋषि पँचमी" की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं साथियो। भ

"ऋषि पँचमी" की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं साथियो। भादवा माह का प्रत्येक दिवस पर्व एवं त्योहार है। पिछले 5 दिन आपने देखा ही इसी तरह कल (छठ-पूजा) होगी और इसे देव छठ के रूप में मनाते हैं। आज की बात करते हैं आखिर ऋषि पंचमी क्या है?
कैप्शन देख लीजिए---- स्वागत है।😊 यह इस देश की एक महान परम्परा है कि वर्षा ऋतु में देव सो जाते हैं।सभी धार्मिक या शुभ कार्य ठहर जाते हैं।पूरा देश सामाजिक चिन्तन व समस्याओं के निवारण में व्यस्त हो जाता है।बरसात के कारण पैदल चलने वाले साधु-संतों का आवागमन ठहर जाता है।वे भी इस काल में समाज को उपलब्ध रहते हैं।उनकी निश्रा में विभिन्न सम्प्रदाय एवं समूह अपने-अपने विषयों पर चर्चा करते हैं। भारतीय दर्शन के संन्यास आश्रम की भूमिका भी यही है।तभी संतों का निर्वाह समाज करता है।चातुर्मास संतों के लिए इस उधार को चुकाने का अवसर भी है। चार मास का काल छोटा नहीं होता। समाज के हर वर्ग के लोग अपने-अपने संतों के पास जाते हैं।राष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचार-विमर्श होना एक उद्देश्य होना चाहिए।😊🙏 एक बात थी।
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व्रत उपासना से जुड़ा है स्वास्थ्य का सिद्धांत जिसके बारे में Renuka Vyas जी ने अपनी कई पोस्ट में समझाया है... आप पढ़ कर देखिए---- हम तो ब्राह्मण आदमी हैं तो खाने को लेकर ही कहेंगे आज के दिन व्रत उद्यापन करने वाले लोग या स्त्रियां पाँच से सात ब्राह्मणों को स्वादिष्ट फलाहार के साथ बिना आँच के पका हुआ भोजन खिलातीं हैं। और उनका पूरा परिवार भी वही ग्रहण करता है। और पूरे दिन ब्राह्मण और यजमान अन्य कोई पका हुआ भोजन ग्रहण नहीं करते। इसका क्या लाभ है और महत्व है ये बात जानने के लिए आप अपने दिमाग़ पर जोर डालें और जान सकते हैं।
🙏😊🙏
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जाते जाते बात को गुलाब कोठारी जी के vision-2025 के लिए कहे कथन के साथ विराम देता हूँ-----
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नई पीढ़ी को धर्म की वैज्ञानिकता, प्राकृतिक सामंजस्य, सामाजिक सौहाद्र की पृष्ठभूमि को ठोक बजाकर परखना चाहिए। धर्म मुक्ति का मार्ग है। कट्टरता मुझे जकड़ नहीं सकती। मेरे भीतर भी ईश्वर का अंश है। धर्म के नाम पर राजनीति या छलावा करने वालों का हमें बहिष्कार कर देना है। समाज का पुनर्निमाण और पुनरूथान का संकल्प ही मेरे सपनों का “विजन 2025” बन जाएगा।
"ऋषि पँचमी" की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं साथियो। भादवा माह का प्रत्येक दिवस पर्व एवं त्योहार है। पिछले 5 दिन आपने देखा ही इसी तरह कल (छठ-पूजा) होगी और इसे देव छठ के रूप में मनाते हैं। आज की बात करते हैं आखिर ऋषि पंचमी क्या है?
कैप्शन देख लीजिए---- स्वागत है।😊 यह इस देश की एक महान परम्परा है कि वर्षा ऋतु में देव सो जाते हैं।सभी धार्मिक या शुभ कार्य ठहर जाते हैं।पूरा देश सामाजिक चिन्तन व समस्याओं के निवारण में व्यस्त हो जाता है।बरसात के कारण पैदल चलने वाले साधु-संतों का आवागमन ठहर जाता है।वे भी इस काल में समाज को उपलब्ध रहते हैं।उनकी निश्रा में विभिन्न सम्प्रदाय एवं समूह अपने-अपने विषयों पर चर्चा करते हैं। भारतीय दर्शन के संन्यास आश्रम की भूमिका भी यही है।तभी संतों का निर्वाह समाज करता है।चातुर्मास संतों के लिए इस उधार को चुकाने का अवसर भी है। चार मास का काल छोटा नहीं होता। समाज के हर वर्ग के लोग अपने-अपने संतों के पास जाते हैं।राष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचार-विमर्श होना एक उद्देश्य होना चाहिए।😊🙏 एक बात थी।
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व्रत उपासना से जुड़ा है स्वास्थ्य का सिद्धांत जिसके बारे में Renuka Vyas जी ने अपनी कई पोस्ट में समझाया है... आप पढ़ कर देखिए---- हम तो ब्राह्मण आदमी हैं तो खाने को लेकर ही कहेंगे आज के दिन व्रत उद्यापन करने वाले लोग या स्त्रियां पाँच से सात ब्राह्मणों को स्वादिष्ट फलाहार के साथ बिना आँच के पका हुआ भोजन खिलातीं हैं। और उनका पूरा परिवार भी वही ग्रहण करता है। और पूरे दिन ब्राह्मण और यजमान अन्य कोई पका हुआ भोजन ग्रहण नहीं करते। इसका क्या लाभ है और महत्व है ये बात जानने के लिए आप अपने दिमाग़ पर जोर डालें और जान सकते हैं।
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जाते जाते बात को गुलाब कोठारी जी के vision-2025 के लिए कहे कथन के साथ विराम देता हूँ-----
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नई पीढ़ी को धर्म की वैज्ञानिकता, प्राकृतिक सामंजस्य, सामाजिक सौहाद्र की पृष्ठभूमि को ठोक बजाकर परखना चाहिए। धर्म मुक्ति का मार्ग है। कट्टरता मुझे जकड़ नहीं सकती। मेरे भीतर भी ईश्वर का अंश है। धर्म के नाम पर राजनीति या छलावा करने वालों का हमें बहिष्कार कर देना है। समाज का पुनर्निमाण और पुनरूथान का संकल्प ही मेरे सपनों का “विजन 2025” बन जाएगा।