हिय में जल मन में कल संबल मस्तक अरुणोदित अरुणांचल छाया में पाए जीवन बल प्रमुदित प्रज्ञा निर्झर निर्मल बहती शाश्वत गंगा कल-कल जो तीर बसे बोले हर-हर गुरु दीप जलाए अन्तस्तल खोले प्राणों के स्वर उर्वर उत्कण्ठ गा रहा है अविरल गुरु की गुरुता धरती अम्बर #toyou #theearth #thesky #thesun #blessings #yqessence