एक सन्नाटा सा छा गया चहुँ ओर है , मेढकों का थम सा गया जैसे शोर है ! बारिश जब हुई जनता के मतदान की , नमो नमो का ही देखो चहुँ ओर शोर है ! बाढ़ सी आ गई कचड़ा सारा बहा ले गई , अब कल कल बहती नदिया का शोर है ! न बूँद बची इनकी आँखों में आंसुओं की , छुप छुप के रोते रोने का भी नहीं शोर है ! बेच के शर्म जो छाती तान खड़े होते थे , जमानत भी जब्त हो गई ऐसा शोर है !! एक सन्नाटा सा छा गया चहुँ ओर है , मेढकों का थम सा गया जैसे शोर है ! बारिश जब हुई जनता के मतदान की , नमो नमो का ही देखो चहुँ ओर शोर है ! बाढ़ सी आ गई कचड़ा सारा बहा ले गई , अब कल कल बहती नदिया का शोर है !