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कविता नन्ही कलम से ... लॉकडाउन में वह सुबह, अक्सर

कविता नन्ही कलम से ...

लॉकडाउन में वह सुबह, अक्सर याद आती थी ।
जब मम्मी गरमा गरम, जलेबिया बनाती थी।।

हमारे लिए संडे को भी, जल्दी उठ जाती थी ।
सभी को पेट भर के यम्मी जलेबी खिलाती थी।।

प्लेट खाली होने से पहले,फिर से वह भर जाती थी।
सभी के खा लेने के बाद, मम्मी जलेबी खाती थी।।

लॉकडाउन में वह सुबह,अक्सर याद आती थी ।
जब मम्मी गरमा गरम,जलेबियां बनाती थी।।
✍सुमित मानधना 'गौरव', सूरत 😎

©SumitGaurav2005
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