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पत्थर तब तक "सलामत" है जब तक वो "पर्वत" से जुड़ा

पत्थर तब तक "सलामत" है 
जब तक वो "पर्वत" से जुड़ा है
पत्ता तब तक "सलामत" है।
जब तक वह "पेड़" से जुड़ा है
इंसान तब तक "सलामत" है 
जब तक वो "परिवार" से जुड़ा है
क्योंकि, 
परिवार से अलग होके आजादी तो मिल जाती है।

लेकिन "संस्कार" चले जाते हैं

©Himanshu Vishwakarma bbnbh
#You&Me
पत्थर तब तक "सलामत" है 
जब तक वो "पर्वत" से जुड़ा है
पत्ता तब तक "सलामत" है।
जब तक वह "पेड़" से जुड़ा है
इंसान तब तक "सलामत" है 
जब तक वो "परिवार" से जुड़ा है
क्योंकि, 
परिवार से अलग होके आजादी तो मिल जाती है।

लेकिन "संस्कार" चले जाते हैं

©Himanshu Vishwakarma bbnbh
#You&Me