खुद से ज्यादा खुद को कोई समझ नहीं सकता, अगर कोई समझ सकता हैं तो खुद के जैसा एहसास रखने वाला,और....... ऐसे एहसास रखने वालों की कमी हैं,तभी तो आखों में नमी हैं।। यहां तो सबको अपने दर्द की पड़ी रहती हैं,जैसे दूसरों के दर्द तो घड़ी जैसी हैं,जो वक्त संग बदल जाती हैं।। ✍🏻तृषा मधु