हां ये वही दरिया है जहां गमो की धार चल रही है। हार के बैठे है सब कुछ फिर भी सीने में जीत की अरमान पल रही है! बड़ा होने का बहोत जल्दी था मुझे,फिर क्यों बचपन कि याद खल रही है। सच पूछो तो उम्मीदों पे ही जिंदा हूं,हकीकत में तो रूह की लाश जल रही है। जिंदगी में अब वो बात कहां,जो तब हुआ करता था