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#शब्दों का कौमार्य..... यह शब्दों का सौंदर्य रहा

#शब्दों का कौमार्य.....


यह शब्दों का सौंदर्य रहा
कि हर नए वाक्य पर 
उनका कौमार्य 
यथावत रहा।

इधर मैं 
कविता की वे अंतिम पंक्तियाँ रही 
जिन्होंने उसके प्रारब्ध के संग 
पूर्ण निर्वाहन किया। 

मैंने इच्छाओं की 
उर्वरक भू पर  
पाँव  जमाते हुए 
स्नेह की दृंढ़ता को
थामना चाह
पर इच्छाएँ वजनी निकलीं।

मेरे मुखमंडल पर 
विग्रह वेदना का प्रतिबिंब ठहरता
इससे पूर्व
एक समृद्ध संतुष्टि का आवरण 
स्वेच्छा से ओढ़ लिया
दुःख की तुलना में 
सुख अकिंचन  रहे
पर अस्तित्वहीन  नहीं 

जीवन में प्रेम 
तब उद्धृत हुआ 
जब वह  लगभग 
परिभाषा विहीन हो चुका 
प्रतीक्षित अनुभूतियाँ 
भाषा के अभाव में
अनर्थ  सिद्ध  हुईं

पूरे नाट्यक्रम में
अपने संवादों को कंठस्थ कर
नेपथ्य में
प्रविष्टि की प्रतीक्षा करती रही 
परंतु हम सभी
अस्थाई  दृश्यों के 
अस्पष्ट पात्र ही साबित हुए। 

जीवन अपनी गति में चला
दृश्यों संग पात्र बदलते गए
पर  कुछ प्रतीक्षाएँ
कभी समाप्त नहीं हुईं

जहाँ  दुनिया वृताकार रही 
वहीं प्रेम सरल रेखा समान
संभवतः तभी
वृत की गोलाई
कभी नाप ही नहीं पाई!! #शब्दों का कौमार्य.....


यह शब्दों का सौंदर्य रहा
कि हर नए वाक्य पर 
उनका कौमार्य 
यथावत रहा।
#शब्दों का कौमार्य.....


यह शब्दों का सौंदर्य रहा
कि हर नए वाक्य पर 
उनका कौमार्य 
यथावत रहा।

इधर मैं 
कविता की वे अंतिम पंक्तियाँ रही 
जिन्होंने उसके प्रारब्ध के संग 
पूर्ण निर्वाहन किया। 

मैंने इच्छाओं की 
उर्वरक भू पर  
पाँव  जमाते हुए 
स्नेह की दृंढ़ता को
थामना चाह
पर इच्छाएँ वजनी निकलीं।

मेरे मुखमंडल पर 
विग्रह वेदना का प्रतिबिंब ठहरता
इससे पूर्व
एक समृद्ध संतुष्टि का आवरण 
स्वेच्छा से ओढ़ लिया
दुःख की तुलना में 
सुख अकिंचन  रहे
पर अस्तित्वहीन  नहीं 

जीवन में प्रेम 
तब उद्धृत हुआ 
जब वह  लगभग 
परिभाषा विहीन हो चुका 
प्रतीक्षित अनुभूतियाँ 
भाषा के अभाव में
अनर्थ  सिद्ध  हुईं

पूरे नाट्यक्रम में
अपने संवादों को कंठस्थ कर
नेपथ्य में
प्रविष्टि की प्रतीक्षा करती रही 
परंतु हम सभी
अस्थाई  दृश्यों के 
अस्पष्ट पात्र ही साबित हुए। 

जीवन अपनी गति में चला
दृश्यों संग पात्र बदलते गए
पर  कुछ प्रतीक्षाएँ
कभी समाप्त नहीं हुईं

जहाँ  दुनिया वृताकार रही 
वहीं प्रेम सरल रेखा समान
संभवतः तभी
वृत की गोलाई
कभी नाप ही नहीं पाई!! #शब्दों का कौमार्य.....


यह शब्दों का सौंदर्य रहा
कि हर नए वाक्य पर 
उनका कौमार्य 
यथावत रहा।

#शब्दों का कौमार्य..... यह शब्दों का सौंदर्य रहा कि हर नए वाक्य पर उनका कौमार्य यथावत रहा। #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo