खुद से लड़ते-लड़ते आज वो खुद से रूठ गया, आज फिर ज़िन्दगी हार गयी,और पैसा जीत गया। बंद थे जो चौराहें ज़िन्दगी खोने के डर से, आज फिर उस मॉल में कोलाहल पहले की तरह मच गया, ज़िन्दगी महँगी है आज तक बस यही समझा था, इकोनॉमी बचाने की खातिर तो ये दो कौड़ी में बिक गया। आज फिर ज़िन्दगी हार गयी, और पैसा जीत गया। my diary word