सड़क किनारे बैठे रहते, महिलाओं को छेड़े हैं। रोज़गार के वादे पर ये, सरकारों को घेरे हैं।। पठन से जिनका न कोई नाता, ऐसे भी कुछ होते हैं। मनन विवेचन अपवित्र कर, "आरक्षण" पर रोते हैं।। "आरक्षण से ग्रस्त" समाज के निंदनीय सच को दिखाने वाली एक लघु कविता #alokstates #yqbaba #yqdidi #गाँवकीबातें #ज़रूरीहै #inspiration #hindipoetry #horrorstory