सियासत की भूख उन्हें ऐसी लगी है जाने क्यूं बस वह नफरत की बात करते हैं झूठा वादा किया था गरीबों से उन्होंने गरीबों की नहीं बस चंद अमीरों की बात करते है कितना खुदगर्ज है ये जनता भी जब चाहे वह बस उन्हें लूटने की बात करते हैं कितने लूट गए उनके सियासी चाल में सच को झूठ साबित करने की वह बात करते है क्या यही था अच्छे दिन का वादा तुम्हारा बस लोगों को आरिफ आपस में लड़ाने की बात करते हैं सियासत की भूख उन्हें ऐसी लगी है जाने क्यूं बस वह नफरत की बात करते हैं झूठा वादा किया था गरीबों से उन्होंने गरीबों की नहीं बस चंद अमीरों की बात करते है कितना खुदगर्ज है ये जनता भी जब चाहे वह बस उन्हें लूटने की बात करते हैं