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मेरी कक्षा में रमेश पढ़ता था| वह बहुत सीधा-साधा बा

मेरी कक्षा में रमेश पढ़ता था| वह बहुत सीधा-साधा बालक था परंतु पढ़ने में उसका मन नहीं लगता था | यही कारण था कि वह सभी शिक्षकों से डांट खाता था | सभी उसका उपहास करते थे |  परीक्षाओं में भी वह पास होने लायक  ही  अंक ला पाता था वह फास्ट पोस्ट था |  बचपन से ही उसे क्रिकेट खेलने का शौक था | हमारे विद्यालय में उसे विद्यार्थियों के साथ खेलने का अवसर मिला तो उसका खेल और सुधर गया| कक्षा 8 तक सभी की नजर में वह साथियों की अपेक्षा का पात्र बनता था | कक्षा 10 में आते आते वह विद्यालय की क्रिकेट टीम का खिलाड़ी बन गया | जिस स्तर की प्रतियोगिताएं में वह पहले ही ओल विजय टीम का सदस्य था | कक्षा 10 में उसे  कप्तान बना दिया गया |उसके खेलने ऐसा चमत्कार दिखाया कि हमारे विद्यालय की क्रिकेट टीम प्रदेश स्तर की क्रिकेट प्रतियोगिता में पहले स्थान पर रही अब तो पढ़ाई में कमजोर होने वाला रमेश विद्यालय में शिक्षकों तथा साथियों को अत्यंत प्रिय सभी उस पर गर्व करते थे एक बार प्रधानाचार्य जी ने रमेश का उदाहरण देते हुए शिक्षकों तथा बच्चों से कहा कि हमें दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिएल आप लोग रमेश का अभ्यास करते थे आज वही विद्यालय का गौरव है इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि दूसरों की क्षमताओं  कम नहीं आंकना चाहिए

©Ashish #feelings ALL PERSON IS BEST PERSON IS BEST PERSON
मेरी कक्षा में रमेश पढ़ता था| वह बहुत सीधा-साधा बालक था परंतु पढ़ने में उसका मन नहीं लगता था | यही कारण था कि वह सभी शिक्षकों से डांट खाता था | सभी उसका उपहास करते थे |  परीक्षाओं में भी वह पास होने लायक  ही  अंक ला पाता था वह फास्ट पोस्ट था |  बचपन से ही उसे क्रिकेट खेलने का शौक था | हमारे विद्यालय में उसे विद्यार्थियों के साथ खेलने का अवसर मिला तो उसका खेल और सुधर गया| कक्षा 8 तक सभी की नजर में वह साथियों की अपेक्षा का पात्र बनता था | कक्षा 10 में आते आते वह विद्यालय की क्रिकेट टीम का खिलाड़ी बन गया | जिस स्तर की प्रतियोगिताएं में वह पहले ही ओल विजय टीम का सदस्य था | कक्षा 10 में उसे  कप्तान बना दिया गया |उसके खेलने ऐसा चमत्कार दिखाया कि हमारे विद्यालय की क्रिकेट टीम प्रदेश स्तर की क्रिकेट प्रतियोगिता में पहले स्थान पर रही अब तो पढ़ाई में कमजोर होने वाला रमेश विद्यालय में शिक्षकों तथा साथियों को अत्यंत प्रिय सभी उस पर गर्व करते थे एक बार प्रधानाचार्य जी ने रमेश का उदाहरण देते हुए शिक्षकों तथा बच्चों से कहा कि हमें दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिएल आप लोग रमेश का अभ्यास करते थे आज वही विद्यालय का गौरव है इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि दूसरों की क्षमताओं  कम नहीं आंकना चाहिए

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