अय इश्क़ देख तेरे बराबरी का कोई आया है , जिसकी न दवा , न दुआ साथ मौत की सौगात लाया है । जरा पूछ इस से की किस शहर से आया है , ये कुदरत का करिश्मा है या इसे इंसान ने बनाया है । जिस गली से गुजरा था पहले अब वहाँ कोहराम का है कोलाहल नही , क्या ख़ास ये हमारी तबाही के लिए किसी ने बनाया है । लगता है हम व्यर्थं ही बिता रहे समय एक दूसरे पे इल्जाम लगाकर , क्या पता ये फ़ूट डालने के मक़सद से ही हमारे शहर आया है। उन्हें मिल रही होगी शांति हमें यूँ आपस मे लड़ता देखकर, लगता है फूट डालो और राज करो वाली नीति उसने अपनाया है । अनन्या राय पराशर Ritika suryavanshi