लगा है हर कोई, यहां दूसरे को गिराने में कभी छीनने में,तो कभी चुराने में। कोशिश की राह,अब किसको अच्छी लगती है मसरूफ़ है हर कोई,यहां जलने-जलाने में। ज़ुबां मोहब्बत की, खो सी गई है कहीं, मज़ा आता है सबको,अब बस दूरियां बढ़ाने में। दीया नहीं जलाता,अब कोई किसी के आंगन में, खुशी मिलती है अब,सबको घर किसी का जलाने में। कहे गुमनाम, ओ कुजागर,फिर नए से बना तू हमको, बड़ी चूक रह गई है,तुझ से यह इंसान बनाने में। कूज़ागर हमको फिर से बना... *कूज़ागर - कुम्हार #कूज़ागर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #dilkepanney #paidstory