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मैं भीग तो गया तुझमें बारिश को दोष क्यों दूं। तेर

मैं भीग तो गया तुझमें 
बारिश को दोष क्यों दूं।
तेरी सूरत मनमोहनी देखते ही न जाने क्या हुआ
मन मेरा हो के भी मेरा ना हुआ
अब तू ही बता पकड़ लूं या छोड़ दूं
मैं भीग तो गया तुझमें
 बारिश को दोष क्यों दूं।
पहली वर्षा बंद है
 मैं सीप सा मुंह खोल दूं
मोती यदि पक्का बनें तो 
तेरे गले का हार जोड़ दूं
मैं भीग तो गया तुझमें 
बारिश को दोष क्यों दूं।
प्रेम राधा कृष्ण सा हो तो 
मैं एक गज आगे बड़ लूं 
लू लापता कलयुगी हो तो 
मैं चार गज पीछे कर लूं ।
मैं भीग तो गया तुझमें 
बारिश को दोष क्यों दूं।।
।।किशन सिंह।।

©Kishan singh prayagraj
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