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मैंने लोगो को बदलते देखा है। मैने लोगो को बदलते दे

मैंने लोगो को बदलते देखा है।
मैने लोगो को बदलते देखा है।
 अपने स्वार्थ के लिए उन्हें पलटते देखा है। 
सही या गलत के मायनो को बदलते देखा है। 
अपनों को बेगानो में खड़े देखा है। 
गलत होने पर भी मैंने उन्हें खामोश देखा है। 
जाने पहचाने चेहरों को भी अंजान बनते देखा है। 
हाँ, मैंने लोगो को बदलते देखा है।
दुश्मनों की भीड़ में चुपचाप शामिल होकर 
उगली उठाते देखा है। 
सामने मुस्कराते और पीछे जहर घोलते देखा है।
मैने उन्हें अपने बातों से पलटते देखा है
कुछ ना कहकर भी मैंने उन्हें अपने विपक्ष मे सरेआम देखा है। हाँ, मैंने लोगो को बदलते देखा है।
खुशी है मुझे इतने बदलाव को देखकर भी 
मैने अपने आप को स्थिर देखा है। 
बदलते हुए उनके रूप के बीच में,
 मैने अपने आप को विश्वास से खडे देखा है।
 हां, मैने उस भीड से अपने आप को अलग देखा है।
पर सच तो यह है कि मैंने लोगो को बदलते देखा है।

©SHANU NIGAM
  #Poetry #Society
shanunigam2811

SHANU NIGAM

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