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कोई है नहीं खयालों में, लेकिन फिर भी न जाने क्यों

कोई है नहीं खयालों में,
लेकिन फिर भी न जाने क्यों मैं किसी का इंतेजार अरसे से किये जा रहा।
एक कसक है कि लगता है,
कोई है जो मेरा इंतेजार मुझसे बेसब्री से किये जा रही।
कयामत तो तब होगी जब रब हमें मिलवाएगा! still waiting for...
कोई है नहीं खयालों में,
लेकिन फिर भी न जाने क्यों मैं किसी का इंतेजार अरसे से किये जा रहा।
एक कसक है कि लगता है,
कोई है जो मेरा इंतेजार मुझसे बेसब्री से किये जा रही।
कयामत तो तब होगी जब रब हमें मिलवाएगा! still waiting for...
nitishkumar5963

Nitish Kumar

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