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मुझको भी अब अपनी बुलंद आवाज़ करने दो। नया नया सवे

मुझको भी अब अपनी बुलंद आवाज़ करने दो।

नया नया सवेरा है ज़रा नया आग़ाज करने दो।

अभी तो सूरज की रोशनी मे हल्की ही लाली है।

पंखो को खोलकर दूर तक परवाज़ करने दो।

💕💕💕
शादाब अहमद। शादाब अहमद
मुझको भी अब अपनी बुलंद आवाज़ करने दो।

नया नया सवेरा है ज़रा नया आग़ाज करने दो।

अभी तो सूरज की रोशनी मे हल्की ही लाली है।

पंखो को खोलकर दूर तक परवाज़ करने दो।

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शादाब अहमद। शादाब अहमद

शादाब अहमद #Shayari