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इसी तरह सोचो धूप में तपने दो देह घुप अंधेरे में

इसी तरह सोचो 

धूप में तपने दो देह 
घुप अंधेरे में सिकुड़ गई है 
मेमना- सी कांपती 
आवाज़ ने क़िले की दीवारों को फादकर 
नई राह पकड़ी है 

लोहा आग में पिघलता है 
तब लेता है आकार 
किसी भी साँचे में ढल जाए 
वह अपनी ताकत नहीं खोता 
बिननो! इसी तरह सोचो 
तभी जिंदा रह पाओगी 
इस जंगल में 

डॉ आशा सिंह सिकरवार  #NojotoQuote इसी तरह सोचो बिन्नी 
#इसी #तरह #सोचो #बिन्नी #इसीतरहसोचोबिन्नी इसी तरह सोचो बिन्नी 
#poetry #newpoetry #bestpoetry
इसी तरह सोचो 

धूप में तपने दो देह 
घुप अंधेरे में सिकुड़ गई है 
मेमना- सी कांपती 
आवाज़ ने क़िले की दीवारों को फादकर 
नई राह पकड़ी है 

लोहा आग में पिघलता है 
तब लेता है आकार 
किसी भी साँचे में ढल जाए 
वह अपनी ताकत नहीं खोता 
बिननो! इसी तरह सोचो 
तभी जिंदा रह पाओगी 
इस जंगल में 

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